Thursday, November 1, 2007

हम रहें, ना रहें!!!


सफर को जब भी किसी दास्तान में रखना,
कदम यकीनन, मंजिल गुमान में रखना!!
जो साथ है वहीं घर का नसीब है, लेकिन
जो खो गया उसे भी मकान में रखना!!
जो देखती हैं निगाहें वही नहीं सब कुछ,
ये एहतियात भी अपने बयान में रखना!!
वो एक ख्वाब, जो चेहरा कभी नहीं बनता,
बनाकर चाँद उसे आसमान में रखना!!
चमकते चाँद-सितारों का क्या भरोसा है !?
ज़मीं की धूल भी अपने उड़ान में रखना !!!

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